30 जुलाई 2025
सनसनीखेज खुलासा: तस्करी का संगठित नेटवर्क बेनकाब

जुलाई माह 2025 की दोपहर वाली खबर , न्यू जलपाईगुड़ी रेलवे स्टेशन की भीड़भाड़ और कोलाहल के बीच एक खतरनाक साजिश का पर्दाफाश हुआ। रेलवे सुरक्षा बल (RPF) की महिला उप निरीक्षक सुश्री सारिका कुमारी को मिली खुफिया सूचना के आधार पर RPF और राजकीय रेलवे पुलिस (GRP) की संयुक्त टीम ने तत्काल कार्रवाई शुरू की। गाड़ी संख्या 13245 डाउन की बोगियों में सावधानीपूर्वक तलाशी के दौरान 56 युवा लड़कियाँ दो संदिग्ध व्यक्तियों—जितेंद्र कुमार पासवान और चंद्रिमा कर—के साथ पकड़ी गईं।
तस्करों ने दावा किया कि वे इन लड़कियों को बेंगलुरु में मोटर पार्ट्स और मोबाइल फोन कंपनियों में रोजगार दिलाने ले जा रहे थे। लेकिन सच्चाई कहीं अधिक भयावह थी। लड़कियों को अलग-अलग डिब्बों में बिठाया गया था ताकि संदेह न हो। पूछताछ में लड़कियाँ अपनी यात्रा के उद्देश्य या गंतव्य के बारे में कुछ नहीं बता सकीं। उनके माता-पिता भी पूरी तरह अनजान थे। सबसे चौंकाने वाली बात यह थी कि लड़कियों की हथेलियों पर स्याही से कोच और बर्थ नंबर लिखे थे—यह तस्करी के संगठित और सुनियोजित स्वरूप का स्पष्ट प्रमाण था।
तस्कर कोई वैध दस्तावेज़ या संतोषजनक जवाब नहीं दे सके। कानूनी प्रक्रिया के तहत दोनों को गिरफ्तार किया गया, और सत्यापन के बाद सभी 56 लड़कियों को मुक्त कर उनके परिवारों को सौंपा गया।
RPF की सतर्कता: रेलवे को तस्करी-मुक्त बनाने का संकल्प

भारतीय रेलवे, जो 13,000 ट्रेनों, 7,500 स्टेशनों और प्रतिदिन 2.3 करोड़ यात्रियों के साथ देश की जीवनरेखा है, अपराधियों के लिए भी आकर्षण का केंद्र बन सकती है। सस्ती, सुलभ और गुमनाम यात्रा प्रणाली का दुरुपयोग कर तस्कर महिलाओं और बच्चों को झूठे वादों के जाल में फँसाते हैं। लेकिन RPF ने इस खतरे को भाँप लिया है और इसे जड़ से उखाड़ने के लिए कटिबद्ध है।
ऑपरेशन नन्हे फरिश्ते: बच्चों को नया जीवन
2020 में शुरू हुआ “ऑपरेशन नन्हे फरिश्ते” बच्चों को खोने, छोड़े जाने या शोषण से बचाने के लिए शुरू किया गया था। पिछले साढ़े चार वर्षों में इस अभियान ने 64,000 से अधिक बच्चों को बचाया, जिनमें 43,493 लड़के और 20,411 लड़कियाँ शामिल हैं। इन बच्चों को बाल श्रम, संगठित भीख मांगने और जबरन मजदूरी से मुक्त कराया गया। बचाव के बाद इन्हें बाल कल्याण समितियों (CWCs) के हवाले किया जाता है, जहाँ पुनर्वास और सुरक्षित देखभाल सुनिश्चित की जाती है। वर्तमान में 135 प्रमुख स्टेशनों पर चाइल्ड हेल्प डेस्क (CHDs) और जिला बाल संरक्षण इकाइयाँ (DCPUs) इस मिशन का हिस्सा हैं।
ऑपरेशन AAHT: तस्करी के खिलाफ व्यापक रणनीति
2022 में शुरू हुए ऑपरेशन #AAHT (Action Against Human Trafficking) के तहत RPF ने 750 एंटी-ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट्स (AHTUs) स्थापित कीं। ये इकाइयाँ खुफिया छापेमारी, निगरानी और एनजीओ व स्थानीय पुलिस के साथ मिलकर बचाव कार्य करती हैं। राष्ट्रीय महिला आयोग और आरंभ इंडिया जैसे संगठनों के साथ समझौतों ने इस लड़ाई को और मजबूत किया है।
तकनीक और प्रशिक्षण: तस्करों की राह में रोड़े
RPF की रणनीति अब केवल सतर्कता तक सीमित नहीं है। डेटा एनालिटिक्स, AI-सक्षम फेस रिकग्निशन सिस्टम (FRS), और CCTV निगरानी ने संदिग्धों की पहचान को आसान बनाया है। टिकट परीक्षक, कुली और हाउसकीपिंग स्टाफ जैसे अग्रिम पंक्ति के कर्मचारियों को संदिग्ध गतिविधियों की पहचान के लिए प्रशिक्षित किया गया है। सोशल मीडिया, व्हाट्सऐप हेल्पलाइन, और भीड़-स्रोतित सूचनाओं ने कई बचाव कार्यों को संभव बनाया है।
आँकड़ों में उपलब्धियाँ: जीवन की जीत
- 2021 से मध्य 2025 तक: RPF ने 2,912 मानव तस्करी पीड़ितों को बचाया, जिनमें 2,600 नाबालिग और 264 वयस्क शामिल हैं।
- 701 तस्कर गिरफ्तार: तस्करी नेटवर्क को ध्वस्त करने में बड़ी सफलता।
- 580 अवैध प्रवासी: 2022-2024 के बीच बांग्लादेश और म्यांमार से तस्करी के शिकार प्रवासियों की पहचान।
- निगरानी में ट्रेनें: गोरखपुर-सिकंदराबाद, राजेंद्रनगर-अजमेर, और न्यू जलपाईगुड़ी-अमृतसर जैसी ट्रेनें विशेष निगरानी के दायरे में।
रोकथाम: जागरूकता से बदलाव
RPF ने बचाव और अभियोजन के साथ-साथ रोकथाम पर भी जोर दिया है। स्टेशनों पर नुक्कड़ नाटक, पोस्टर, बैनर, और उद्घोषणा प्रणाली के जरिए जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं। “स्टॉप ट्रैफिकिंग, क्योंकि हर बच्चा स्वतंत्र होने का हकदार है” जैसे नारे समाज में सांस्कृतिक बदलाव का हिस्सा बन रहे हैं। हेल्पलाइन नंबर 1098 और 112 के जरिए त्वरित शिकायत और कार्रवाई सुनिश्चित की जा रही है।
पुनर्वास: बचाव के बाद की जिम्मेदारी
बचाव केवल पहला कदम है। RPF पीड़ितों को परामर्श, सहायता और पुनर्वास प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है। मुजफ्फरपुर, सिकंदराबाद, कटिहार और अजमेर जैसे तस्करी के हॉटस्पॉट्स में नेटवर्क को बाधित किया गया है।
साझा जिम्मेदारी: एक सुरक्षित भारत की ओर
विश्व मानव तस्करी निरोधक दिवस (30 जुलाई) पर न्यू जलपाईगुड़ी की यह घटना एक प्रेरणा है। तस्करी एक गतिशील खतरा है, जो प्रगति की प्रणालियों में घुसपैठ करता है। इसे रोकने के लिए सतत सतर्कता, एजेंसियों का तालमेल, नीतिगत नवाचार और सामाजिक प्रतिबद्धता जरूरी है।
RPF के महानिदेशक मनोज यादव, आईपीएस, कहते हैं, “हर ट्रेन जो बिना किसी जीवन को शोषण में खोए स्टेशन पर पहुँचती है, वह एक सुरक्षित और स्वतंत्र भारत की ओर कदम है।”
बड़ी खबर: ऑपरेशन अमानत के तहत RPF की शानदार उपलब्धियाँ, यात्रियों का खोया सामान लौटाने में क्रांतिकारी कदम
30 जुलाई 2025: रेलवे सुरक्षा बल (RPF) ने अपने अभिनव पहल ऑपरेशन अमानत के माध्यम से भारतीय रेलवे में यात्रियों का भरोसा मजबूत करने और उनके खोए हुए सामान को वापस लौटाने में अभूतपूर्व सफलता हासिल की है। यह पहल न केवल यात्रियों की सुविधा बढ़ाती है, बल्कि RPF की सेवा, सतर्कता और सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्धता को भी दर्शाती है।
ऑपरेशन अमानत: खोया सामान, वापस पाने की आसान राह
ऑपरेशन अमानत, भारतीय रेलवे की एक अनूठी पहल है, जिसे RPF ने शुरू किया ताकि यात्रियों को उनके खोए हुए सामान को आसानी से वापस मिल सके। इस अभियान के तहत, RPF कर्मी ट्रेनों और स्टेशनों पर छूटे सामान को एकत्र करते हैं, उनकी तस्वीरें और विवरण वेब पोर्टल पर “मिशन अमानत – RPF” लिंक के तहत अपलोड करते हैं। यात्री इस पोर्टल पर जाकर अपने खोए सामान की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं और सत्यापन के बाद उसे वापस पा सकते हैं। यह प्रक्रिया पारदर्शी, मुफ्त और यात्रियों के लिए सुविधाजनक है।
सनसनीखेज उपलब्धियाँ: आँकड़ों में RPF का शानदार प्रदर्शन
ऑपरेशन अमानत ने यात्रियों का विश्वास जीतने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। यहाँ कुछ प्रमुख उपलब्धियाँ हैं:
- 2024 में रिकॉर्ड सफलता: पिछले तीन वर्षों में RPF ने ₹172 करोड़ मूल्य के सामान को उनके मालिकों तक पहुँचाया, जिसमें 2024 में अकेले ₹71 करोड़ का सामान शामिल है।
- अप्रैल 2024 से फरवरी 2025: पश्चिम रेलवे ने 4,700 सामान, जिनका मूल्य ₹9.4 करोड़ से अधिक था, को यात्रियों तक पहुँचाया।
- मई 2023 में उल्लेखनीय प्रदर्शन: RPF ने 119 यात्रियों के ₹51.13 लाख मूल्य के सामान को वापस किया, जिसमें मुंबई डिवीजन ने ₹29.92 लाख का योगदान दिया।
- 2021 में उपलब्धि: पश्चिम रेलवे ने 1,317 यात्रियों के ₹2.58 करोड़ मूल्य के सामान को वापस किया।
- हाल की घटनाएँ:
- 28 जुलाई 2025 को, पश्चिम रेलवे ने 17 यात्रियों के ₹3.39 लाख मूल्य के सामान को लौटाया।
- 26 जुलाई 2025 को, ब्रह्मपुर में RPF ने ₹10 लाख मूल्य के सोने के आभूषण और नकदी युक्त बैग को उसके मालिक को सौंपा।
- 25 जुलाई 2025 को, पुरी में RPF ने वंदे भारत एक्सप्रेस से ₹1.05 लाख की सोने की अंगूठी को वापस किया।
सामान्य वस्तुएँ जो मिलती हैं
ऑपरेशन अमानत के तहत आमतौर पर मोबाइल फोन, लैपटॉप, पर्स, बैग, दस्तावेज़, सोने के आभूषण (जैसे मंगलसूत्र, चेन, झुमके) और नकदी जैसी वस्तुएँ बरामद की जाती हैं। हाल के उदाहरणों में बांद्रा टर्मिनस पर एक यात्री का बैग, जिसमें ₹15.83 लाख मूल्य का मंगलसूत्र और अन्य सामान था, को सत्यापन के बाद वापस किया गया।
तकनीक और पारदर्शिता: ऑपरेशन अमानत की ताकत
- ऑनलाइन पोर्टल: खोए सामान की तस्वीरें और विवरण पश्चिम रेलवे की वेबसाइट पर अपलोड किए जाते हैं, जिससे यात्री आसानी से अपने सामान की पहचान कर सकते हैं।
- सत्यापन प्रक्रिया: सामान वापस करने से पहले, RPF रसीद, फोटो या अन्य प्रमाणों के माध्यम से मालिकाना हक की जाँच करता है, जिससे प्रक्रिया सुरक्षित और विश्वसनीय रहती है।
- हेल्पलाइन 139: यात्री हेल्पलाइन के माध्यम से शिकायत दर्ज कर सकते हैं, जिसका त्वरित समाधान किया जाता है।
- पारदर्शिता: ऑनलाइन अपलोड की गई जानकारी यात्रियों और अधिकारियों के बीच विश्वास को बढ़ाती है।
यात्रियों के लिए लाभ
- सुविधा: यात्रियों को हर स्टेशन पर जाकर सामान तलाशने की जरूरत नहीं पड़ती।
- विश्वास: RPF की ईमानदारी और तत्परता यात्रियों में सुरक्षा का भाव जगाती है।
- मुफ्त सेवा: सामान वापसी की प्रक्रिया पूरी तरह निःशुल्क है।
- तेजी: सत्यापन और स्थान के आधार पर सामान कुछ ही दिनों में वापस मिल जाता है।
ऑपरेशन अमानत से परे: RPF की व्यापक भूमिका
ऑपरेशन अमानत के अलावा, RPF अन्य पहलों जैसे ऑपरेशन नन्हे फरिश्ते (64,000 बच्चों को बचाया), ऑपरेशन AAHT (2,614 तस्करी पीड़ितों को बचाया), और ऑपरेशन यात्रा सुरक्षा (2024 में 3.55 लाख शिकायतों का समाधान) के माध्यम से यात्रियों की सुरक्षा और सुविधा सुनिश्चित करता है। RPF की यह समर्पित सेवा “सुरक्षा, सतर्कता, सेवा” के सिद्धांत को साकार करती है।
आइए, एकजुट होकर तस्करी को रोकें—क्योंकि हर जीवन अनमोल है।
रिपोर्ट : सुरेंद्र कुमार
